शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने एक बार फिर वक्फ कानून और सरकारी कब्जे को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने आरोप लगाया कि लखनऊ के इंदिरा भवन और जवाहर भवन वक्फ की जमीन पर बने हैं. इसके साथ-साथ जवाद ने वर्तमान सरकार और पूर्व की कांग्रेस सरकार पर दोनों की भूमिका पर सवाल भी खड़े किए हैं.
मौलाना जवाद ने कहा कि लगभग 80 प्रतिशत वक्फ की जमीनों पर सरकार का कब्जा है. वक्फ कानून का असली मकसद यह है कि सरकार वक्फ की संपत्तियों पर नियंत्रण बनाए रखे. कांग्रेस ने इंदिरा भवन और जवाहर भवन वक्फ की जमीन पर बनवाया था. कांग्रेस मुसलमानों की सबसे बड़ी दुश्मन रही है. मौलाना ने आरोप लगाया कि बीजेपी भी उसी रास्ते पर चल रही है जिसे कांग्रेस ने शुरू किया था. बीजेपी शिष्य है और कांग्रेस उसका गुरु.
इमामबाड़े का सोना-चांदी तक बेच दिया
हुसैनाबाद ट्रस्ट और इमामबाड़े की संपत्तियों का जिक्र करते हुए मौलाना ने दावा किया कि डीएम की निगरानी में इमामबाड़े का सोना और चांदी तक बेच दिया गया, लेकिन इससे मुसलमानों को कोई लाभ नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि पिछले 24 वर्षों से हुसैनाबाद ट्रस्ट डीएम के अधीन है, जो करोड़ों रुपए की आमदनी करता है, लेकिन इससे समुदाय को कोई फायदा नहीं पहुंचा.
मौलाना ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने वक्फ जमीन पर कब्जा कर लिया है इसलिए मुसलमान आज पंक्चर बना रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि सिर्फ मुसलमान नहीं, हर धर्म के लोग पंक्चर का काम करते हैं. मौलाना के इस पलटवार को पीएम मोदी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है.
वक्फ संपत्तियों का सही से इस्तेमाल नहीं हुआ
पीएम मोदी ने आंबेडकर जयंती के अवसर पर हरियाणा में एक कार्यक्रम में कहा था कि अगर वक्फ की संपत्तियों का सही से इस्तेमाल किया गया होता तो आज मुसलमान युवकों साइकिल का पंक्चर बनाकर जीवन गुजर बसर नहीं करना पड़ता. आजादी के बाद से कांग्रेस पार्टी मुसलमानों को डराकर उनका वोट लेती रही. अगर कांग्रेस को मुसलमानों की इतनी चिंता होती तो आज देश में सबसे ज्यादा गरीबी मुस्लिम समुदाय में नहीं होती.